माँ न हिन्दू , न मुसलमान
न सिख , न ईसाई .
गौर से सब देखो मुझे , मैं हूँ
तुम सब की माई .
,
,
क्यूँ लड़ते हो आपस मे ...... ?
तुम सब तो हो भाई - भाई....
कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे
क्या यही कसम है , तुमने खाई.
,
,
कुर्सी का चढ़ा है चश्मा ऐसा , कि
नज़रे घुमाते ही ,
चारो तरफ बस ,
कुर्सी ही कुर्सी नज़र आई......!
,
,
भारत की सरजमीं को सीचा था,
जिस प्यार व एकता ने ,
आज फिर वही लुटती हुई ,
नज़र आई .
,
,
कटते जा रहे है अंग मेरे ,
ममता आज मेरी ,
बहुत बेबस नज़र आई ....!
छलनी कर सीना मेरा ,
ये कैसी विजय है पाई .
,
,
माता के तो कण - कण में बसी है,
शहीदो के प्यार व त्याग की गहराई .
मत कटने दो अब अंग मेरा .....
बहुत मुश्किलों से , बेडियो से ,
मुक्ती है पाई .
,
,
तुम सब तो हो भाई-भाई ....
गौर से देखो मुझे ,
मै हूँ तुम सबकी माई..........
ये है इण्डिया मेरी जान
न सिख , न ईसाई .
गौर से सब देखो मुझे , मैं हूँ
तुम सब की माई .
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क्यूँ लड़ते हो आपस मे ...... ?
तुम सब तो हो भाई - भाई....
कर दोगे हज़ार टुकड़े , मेरे
क्या यही कसम है , तुमने खाई.
,
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कुर्सी का चढ़ा है चश्मा ऐसा , कि
नज़रे घुमाते ही ,
चारो तरफ बस ,
कुर्सी ही कुर्सी नज़र आई......!
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भारत की सरजमीं को सीचा था,
जिस प्यार व एकता ने ,
आज फिर वही लुटती हुई ,
नज़र आई .
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कटते जा रहे है अंग मेरे ,
ममता आज मेरी ,
बहुत बेबस नज़र आई ....!
छलनी कर सीना मेरा ,
ये कैसी विजय है पाई .
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माता के तो कण - कण में बसी है,
शहीदो के प्यार व त्याग की गहराई .
मत कटने दो अब अंग मेरा .....
बहुत मुश्किलों से , बेडियो से ,
मुक्ती है पाई .
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तुम सब तो हो भाई-भाई ....
गौर से देखो मुझे ,
मै हूँ तुम सबकी माई..........
ये है इण्डिया मेरी जान
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